Vocational skills –Bridging the gap between education and employment
Vocational skills lays emphasis on knowledge, skills and attitudes that help students handle practical challenges and work situations. Everyone speaks today about 21st century skills required to be successful in the fast changing work place. What are these 21st century skills? These include communication skills, digital skills to use smart phones and conduct ecommerce transactions as well as financial literacy and entrepreneurship to handle the gig jobs in the new economy.
A teacher training program was conducted by LAQSH Job Skills Academy for all Madhya Pradesh Vocational Trainers in ITeS trade and Electrical trade in the 1st week of October 2019. During the interactions many of the VTs shared their achievements as well as that of their students. Many students had started earning money whilst still in school. Others were soon becoming role models in their villages and school. The emphasis on learning a skill gives students a tremendous boost to their confidence to face the real world challenges and earn their livelihood.
This is the second newsletter which chronicles or collective work. For us, these stories reflect not just the fascinating work being done by our students and teachers, but also an understanding of how the skills the students are learning, are bridging the gap between education and employability, and preparing them, for success in life ahead. Wishing you all the very best for 2020 !
This Diwali students studying electrical subject had a project that made the learnings practical and real. We called this the Diwali Diya Sell Employability Project. Students did the work across 5 groups. Group 1: Voltage, Group 2: Power, Group 3: LED, and Group 4: MSB, Group 5: Current. Their work started with making the mud diya, decorating it with colours, adding LED lamps to them, labelling them in sets along with Diwali cards. These were sold for Rs. 50 each.
Apart from being a practical immersion of what they learnt, students also had fun, working in groups, with their teams, and also learning the basics of entrepreneurship from manufacturing, to packaging, pricing and selling. While the total cost involved in this was Rs. 250/-, the earnings was Rs. 600/-, leading to profits of Rs. 350/-. As they grow into their careers, be it in jobs or in their own businesses, taking up such initiatives and executing ideas, end-to-end, will be an important lesson in entrepreneurship.
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ये कहानी है शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय पाांढुना में पढ़ने वाले व्यबसायिक छात्र विजय घोरमाडे की जिन्होंने कक्षा नवमी से इलेक्ट्रिकल विषय लेकर अपनी पढ़ाई प्रारम्भ की, अपने रूचि अनुसार वह अब घरेलूउपकरणों को ठीक करने के अलावा टेक्निकल सीस्टम अनुसार काम करना जानते है| ऑन जॉब मैं विजय ने ये जाना की कैसे स्वयं को सुरक्षित रखकर कार्य करना चाहिए। वह उनके गावं मे परिचित लोगों के यहा खराब वायरिंग को मुफ्त में ठीक कीया करते हैं| इससे उनके सभी के साथ अच्छे ब्यबहार बन गए हैं| अब सभी लोग घर के खराब उपकरण उन्ही से ठीक करवाते हैं, इसके बदले में लोगों द्वारा उन्हें कुछ रुपये प्राप्त होते हैं| इससे उनके आर्थिक एवं दैनिक खर्च में सहायता होती है| विजय का लक्ष्य आगे आई टी आई की पढ़ाई करके स्वयं का इलेक्ट्रिकल ब्यबसाय प्रारम्भ करने का हैं| वह पूरब में भी कूलर की वीजली से रेफ्रीद्गेरटोर तथा फार्मिंग इलेक्ट्रिकल पावर जनरेशन जैसा प्रोजेक्ट तैयार कर जिले स्तर पर उन्हें प्रस्ततु कर चुके हैं| विजय का लक्ष्य इलेक्ट्रिकल में कुछ नया और इनोवेटिव करने का है।विजय के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नही है । वह आई टी आई की पढ़ाई के साथ ही पढ़ाई के अलावा बाकी के समय मे इलेक्ट्रिकल कार्य करते रहेंगे ताकि उनकी स्वयं की पढ़ाई का खर्च वह वहन कर सके|आई टी आई कम्पलीट करके व्यबसाय की शुरुआत करेंगे।
सफलता एक यात्रा हैं कोई आख़िरी मांजिल नही….कहते हैं हमारा हुनर ही हमारी पहचान होती हैं, मेहनत और सच्ची लगन ही आपके भविष्य का निर्धारण करती है| ऐसी ही लगन और रुचि का जस्वा हमारे मध्यप्रदेश के शासकीय उत्कृष्ट विद्यायल घिंसौर ,विकाशखण्ड घिंसौर जिला सिवनी में पढ़ने वाले व्यबसायिक छात्र आशीष सेन पिता – श्री रमेश सेन (जिला) सिवनी के एक छोटे गाओं डोला के रहने वाले विद्याथी हैं| कक्षा नवमी में छात्र ने इलेक्ट्रिकल की पढाई शरूु की और अब छात्र घरेलु उपकरण , वाइंडिंग एबं मोटर वाइंडिंग का कार्य सीखा है| जिसकी वजह से श्रीराम इलेक्ट्रिकल रिपेयरिंग शॉप में उसे फैन वाइंडिंग का कार्य मिला जिससे उसने 8000 रुपये कमाएIआशीष हुनर के जरिये खुद का इलेक्ट्रिकल शॉप खोलना चाहता हैं, इन दिनों आशीष घर पर इलेक्ट्रिकल बोर्ड बनाकर बेचता हैं जिससे वह स्वयं की पढ़ाई का खर्च उठा सके| उसके यह हुनर को बढ़ावा देने के लिए शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय घसांर के बरीष्ठ सीक्षक श्री नरेन्द्र सोनी जी ने इलेक्ट्रिक बोर्ड बनाया| आशीष छुटियों में वाइंडिंग वर्कशॉप में जाकर काम करना पुनः प्रारम्भ करेंगे ताकि गर्मी की छुटियों में वह पैसे इक्कठा कर सकें,और आगे पढ़ाई कर सकें|आशीष के सीक्षक श्री रामाधीन चौकसे बताते हैं की वो उन्हें इलेक्ट्रिकल से जुड़े हर वो छोटी और बड़ी खूबी बताते हैं जिससे वो एक कुशल तकनीसशयन बन सकें| आशीष आगे इलेक्ट्रिकल लेकर पढ़ाई करना चाहते हैं, उन्हें जानकारी प्राप्त हुई है की शासन वोकेशनल के कोर्स में ग्रेजुएशन भी करवाने वाली है, जिसमे छात्र रोजगार के साथ पढ़ाई कर सकते हैं|यह जानकर आशीष को अत्यधिक खुशी हुई| आशीष का सपना हैं की वह और आगे पढ़ें तथा एक बड़ा इंजीनियर बन सकें, शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय घसांर उनके उज्ज्यल भविष्य की कामना करता हैं|
मैं अजय सिलावट आत्मज श्री गणेश प्रसाद सिलबट शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय गोटेगावं जिला नरसिंघपुर म.प्र. में व्यबसायिक शिक्षा के अंतर्गत कक्षा 12वी में इलेक्ट्रिकल ट्रेड का छात्र हूँ। मैं अपने आपको भाग्यशाली मानता हूँ की जैसी ही मैंने कक्षा 9वी में प्रबेस लिया, उसी वर्ष 2016-17 से विद्यालय में एक नए पाठ्यक्रम के अंतर्गत इलेक्ट्रिकल टेक्नोलॉजी शिक्षा प्रारम्भ हुई। मैंने इसमें प्रबेस के लिए विषय सीक्षक श्री शैलेन्द्र प्रजापती से निवेदन किया और उन्होंने मेरी रुचि को ध्यान में रखते हुये टेस्ट और इंटरव्यू के माध्यम से मुझे इस विषय में प्रवेश दिआ। विगत वर्षो में मैंने इस विषय के माध्यम से इतना कुछ सीखा है की आज मैं दैनिक जीवन में उपयोग आने वाले घरेलू उपकरण जैसे इलेक्ट्रिक आयरन, फैन, इलेक्ट्रिक कूलर, वाटर हीटर, मिक्सर ग्राइिंडर, वाटर प्यरूीफायर, इत्यादि का परीक्षण कर उसे सुधारने में सक्षम हूूँ। इतना ही नहीं वर्षो की मेहनत से मेरे पिता जी ने दैनिक मजदूरी करते हुये हमारे लिए एक छोटा सा घर बनाया|अपनी आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुये अपने इस घर की इलेक्ट्रिक वायरिंग के लिए मेने खुद ही इसकी जिम्मेदारी ली और पुरे घर की इलेक्ट्रिक वायरिंग और फिटिंग मेने स्वयं की। जिसे देख कर आज मेरे पिताजी मुझ पर गौरबानयित महसूस कर रहें हैं। मुझे आज इतना काबिल बनाने का श्रेय मैं अपने व्यबसायिक सीक्षक श्री शैलेंद्र प्रजापति सर को देना चाहता हूँ जिनके मगदर्सन मैं इतना कुछ सीख पाया की आज के कढ़ी प्रतिस्पर्धा युग में किसी जॉब पर निर्वर नहीं हूँ| मैं अपने स्कूल जीवन में ही इतना सक्षम हो गया हूँ की अपना रोजगार स्वयं जनित कर अपना जीवन यापन अच्छे से कर सकता हूाँ। यह व्यबसायिक शिक्षा मेरे जैसे अनेकानेक विद्यार्थियों के लिए एक बरदान साबित हो रही है।
शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय चीचली जिला नरसिंगपुर – कक्षा 12 के सभी छात्रों को प्राचार्य महोदय जी ने एक प्रोजेक्ट दिआ| जिनमे स्कूल में लगे पंखों की सर्विसिंग और जले हुए पंखों की वाइंडिंग करने को कहा। छात्रों ने इस प्रोजेक्ट को ले कर यह काम कर दीखाया। इसी प्रकार स्टाफ की मडैम श्रीमती उषा कुरचानिया जी ने कक्षा 12 के छात्र रामनरेश से कहा की घर का पखां खराब हो गया है क्या तुम इसको ठीक कर सकते हो ? छात्र ने तुरंत जबाब दिया – जी मैडम |और छात्रों ने पखां को चेक किया और तुरंत बता दिया पखां की वाइंडिंग जल गई है| छात्र ने उसे वाइंडिंग कर पखां चालूकर उसका बिल मडैम को दे दिया| मार्किट रेट से बिल काफी कम था, इससे मैडम बहुत खुश हुई। प्राचार्य महोदय जी दयारा प्रार्थना के दौरान छात्र का सम्मान किया और छात्र ने सभी के सामने मैडम को पंखा दिया। एक पहल हो चुकी है रोजगार की ओर चल पड़ने की। रामनरेश कहता है की कक्षा 12 वी में आने के बाद मुझे ऐसा लगने लगा की नोकरी मिले न मिले में रोजगार प्राप्त कर सकता हूँ। इसी प्रकार जब छात्र से पूछा गया की आप पहले से ही कुछ पैसे कमा रहे हैं ? तो छात्र का जबाब था “नही -परन्तु कक्षा 12 वी में आने के बाद मार्किट से पखां को घर ला कर वाइंडिंग कर देने से पैसे मिलने लगे जिससे मेरी इनकम आना शुरू हुई। जब मेरे से इलेक्ट्रिकल का और अच्छी तरह काम बनेगा तो नौकरी जरूर मिलेगी। मेरे माँ पिता बेहद खुश हैं की मै इलेक्ट्रिकल के कायों को कर पा रहा हूाँ।
कला उस तलबार की तरह होती है जिसे जितना घिसा जाए उतना ही उसकी धार और चमक बढ़ती है| ऐसी ही एक कहानी शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय बिछुआ विकासखड बिछुआ जिला छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश में पढ़ने बाले छात्र चंद्रकुमार मस्तकार की है | चंद्रकुमार को पढ़ाई में रुचि तो बहुत है परन्तु उसके परिवार की स्थिति ऐसी नहीं है की वह बहुत उच्चस्तर पर अपना अध्ययन पूरा कर सकें| साल 2016 में जब उसे अपने ब्लॉक स्तर के विद्यालय बिछुआ में प्रबेस का मौका मिला तो खुसी से झूम उठा| उसे यह जानकारी मिली की इसी साल से उत्कृष्ट विद्यालय में ब्यबसायिक सिक्षा के दो विषय इलेक्ट्रिकल टेक्नोलॉजी और हेल्थ केयर केयर में बिना किसी अन्य शुल्क के पढ़ने को मिलेगा । चंद्रकुमार स्तर 1 से ही अपना अच्छा प्रदर्शन कर रहेथे और स्तर 4 तक आते-आते उन्होंने बहुत कुछ सीख लिया । जब गमी में ओजटी हुई तब भी वह सबसे ज्यादा समय ओजटी में उपस्थित रहते थे और खाली समय में अपने प्रशिक्षक और ट्रेनिंग संस्था केिे ट्रेनर से विद्यतु के उपकरणों और अन्य कायों की जानकारी पूछा करते थे । जब ट्रेनिंग परूी हुई तो चंद्र कुमार ने अपने घर व गाओं के लोगों के घरेलू उपकरणों जैसे ट्यबूलाइट ,प्रेस, बिजली के बोर्ड इत्यादि को फ्री में सुधारना चालू किया |पहले तो लोग उससे अपने काम बिना पैसों के ही करा लिया करते थे, लेकिन कुछ ही दिनों में उसे लोगों ने उसकी मेहनत के लिए पैसे देना भी चालू कर दिए | आज चंद्र कुमार अपने स्तर पर लगभग 500 – 1000 रुपये कमा लेते हैं | प्रशिक्षक सर के पछूने पर चंद्रकुमार के पिता श्री फागुलाल मस्तकार ने बताया की जब कभी चंद्र कुमार उनसे यह बताता है की आज मेने प्रेस सुधारा, आज मेने पंखा सुधारा ,तो हमें बड़ी खुशी होती है पर यदि उसे कोई नौकरी मिल जाए तो ज्यादा बेहतर होगा। फागुलाल जी ने यह भी कहा की वह अपने बेटे की इस पढ़ाई से खशु है |तब श्री साबनेरे ने उन्हें यह भरोसा दीलाया की उनका बेटा बहुत बढ़िया पढ़ रहा है और एक दिन बहुत ही अच्छा मुकाम हासिल करेगा और अपने परिवार का, विद्यालय का और गाओं का नाम भी ऊचां करेगा।
यह सफलता की कहानी शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हट्टा दमोह में क्लास 10 में पढ़ने वाले शिव कुमार मिश्रा की है, जिन्होंने अपनी क्लास 8 तक के पढ़ाई सरस्वती सीशु मंदिर मे की | लेकिन जैसे ही शिव कुमार मिश्रा को मालम हुआ की क्लास 9 से विद्यालय में विषय इलेक्ट्रिकल भी है उसने तुरंत दाखिला लेकर अपना नाम दर्ज करवा लिया| शिव कुमार मिश्रा घर के एव स्कूल के भी छोटे-छोटे उपकरणों को ठीक करने का काम करने लगे एवं अपने इलेक्ट्रिकल लैब के लिए भी कई मॉडल्स बनाकर भेंट किये| फिर एक दिन शिव कुमार ने अपने मोहल्ले में इलेक्ट्रिकल आयरन को बखूबी परीक्षण करके ठीक कर लिया जिससे उसे कुछ पारिश्रमिक भी मिला | बस फिर शिव कुमार अपने आसपास दोस्तों के एवं अपने मोहल्ले के जान पहचान वाले के घरेलू छोटे छोटे उपकरणों को ठीक करने लगे | शिव कुमार के पिता श्री रामकुमार मिश्रा जी का कहना है की “स्कूलों में इस तरह के कोर्स आने से बच्चों को बहुत कुछ सीखने का मौका मिल रहा है | मेरा बच्चा घर के इलेक्ट्रिकल के खराब हुए उपकरणों को खुद ही बड़ी आसानी से ठीक कर लेता है एवं आस-पड़ोस के लोग भी उसे उपकरणों को ठीक करने के लिए बुलाने लगे हैं| अब लगता है की इस शिक्षा से बच्चे हुनर सीख कर अपना कैररयर खुद बना सकते हैं” | प्राचार्य श्री पाठक जी का कहना है की “इस कोर्स के माध्यम से बच्चे आत्मनिर्वर बनेंगे |
Student's Corner
Simran
Simran, a student from GGSSS Railway Mandi Hoshiarpur, transitioned from her early love for art to a successful career in IT. After completing her 12th grade, she embraced an apprenticeship at Prabhnoor Collection, leading to her role as a Trainer at Advance Net Institute, earning Rs 3000 monthly. Her journey highlights the transformative power of adaptability and passion.
November 16, 2018
Twinkle Kumar
Twinkle Kumar, an IT&ITes student, works as a Computer Operator at Sanjivini Hospital, earning Rs 3500 monthly. His passion for computers and determination to learn have driven his success. Twinkle’s journey, marked by dedication and an infectious smile, highlights the importance of taking the first step toward one’s goal.
November 16, 2018
Manpreet Singh
Manpreet Singh, a dedicated IT&ITes student, has been thriving at Punjab Diagnostic Lab for three years, earning Rs 2000 monthly. Beyond technical skills, he cherishes the strong camaraderie among colleagues. His journey exemplifies the perfect blend of professional growth and a supportive, lively work environment.
November 16, 2018
Ankush Kumar
Ankush Kumar, an IT student from GSSS Nara, Hoshiarpur, turned his passion into success with guidance from his vocational trainer, Mr. Arvind Kumar. Employed at Sabi Photographers, Ankush earns Rs 1500 monthly, building a promising IT career.
November 16, 2018
Davinder Singh
Davinder Singh, a student from Govt. Girls Sen. Sec. School Ranipuri, Kapurthala, turned his passion for computers into a part-time job at KFC as a store operator. With a salary of Rs 8000, Davinder balances work and studies, supporting his family and educational goals.
November 16, 2018
Karamveer Singh
Karamveer Singh, a student from Govt. Girls Sen. Sec. School Parwahi, Barnala, excels in IT through his apprenticeship at Star Shine Barnala, earning Rs 3000 monthly. His goal is to open his own internet shop, combining his love for technology with entrepreneurship.
November 16, 2018
Kritika
Kritika, a student from Govt. Girls Sen. Sec. School Mahan Singh Gate, Amritsar, excelled in IT/ITeS, earning an apprenticeship at Pappu Stationary Books Depot. She embraced roles like billing and printing, leading to a job offer with a monthly salary of Rs 2500. Kritika's dedication inspires all.
November 16, 2018
Khushdeep Singh
Khushdeep Singh, a student from GSSS Jourkian, Mansa, turned his passion for computers into a remarkable journey. Selected for an apprenticeship at Dashmesh Computers, he mastered operating systems and CPU repairs, earning respect and a stipend. Khushdeep's dedication and future aspirations serve as an inspiration to all.
November 16, 2018